एक संपूर्ण जीवन, एक एक पल, एक एक दिन की पैदाइश होती है
दिन सुलझा हुआ आता है सामने,
जब सुबह सकारात्मक होती है,
सुबह की सकारात्मकता,
हमारे मन के स्वस्थ्य पर आधारित होता है,
हम जितने अकेले होते जाते हैं, उतने गहरे तैरते हैं ख़ुद में,
किसी का साथ होना, बाह्य रूप से ख़ुद से जुड़ना है,
पर अकेले होना, आंतरिक रूप से ख़ुद से जुड़ना,
निरुपमा (10/4/2025)
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