" बुझे हुए दिल से एक आह सी निकली है....... यूँ लगता है जैसे देखते देखते हम लुट गए, और अफ़सोस करने का वक़्त भी न मिला, रोने लगे तो जैसे आंसू सूख गए, चीखना चाहे तो आवाज़ न निकली, चलना चाहे तो पाँव काट दिए किसी ने, मरना चाहे तो मौत भी न आई........." **** “ज़िन्दगी हर बार आखिरी सीढ़ी से फिसलती रही, तमाम उम्र मैं ज़िन्दगी का सिर्फ इंतज़ार करती रही” **** “ऐ दोस्त हाथों की लकीरें कभी मिटती नहीं, लाख चाहो...किस्मत बस यूँ ही बदलती नहीं, मेरे साथ जाने कैसे हर बार ये हादसा हुआ, बनती सी किस्मत की लकीरों को बारिश की बूंदों से मिटते देखा....”
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!