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Showing posts from 2022

फैसलों की घड़ी ...

बस, फैसलों की घड़ी थी अब, न वो मेरा था, न मैं ही राह में खड़ी थी अब। अब जो छूटा, सब छूटता चला गया, मैंने भी इस दिल की, कब सुनी थी अब। दिल को कुछ कहना था, कोई नाम गुनगुनाना तो था, दिल की ना सुनूंगी, इस बात पर मैं अड़ी थी अब। तन्हाई की राह, बेहद तन्हा.. बेहद मुश्किल थी मगर, बस इसी राह पर चलने की अपनी ठनी थी अब। निरुपमा (14.12.22)

एक मुलाक़ात ....

 न हाथ थामा, न नजरें मिलाई, न गिले किए, न शिकवे को दरकिनार किया। अपने-अपने अना की बात थी, वो भी ख़ामोश रहे हम भी खामोश रहे। निरुपमा (27.9.2022) अना (गुरूर) self respect...

माज़ी ....

 धीरे... और धीरे... दूरियां बढ़ती, और बढ़ती गईं... उसकी नज़र के धोके से और धोखे खाती रही। वक्त के मरहम भी अब काम आते नहीं। धीमे और धीमे फिसलता गया वक्त मेरे हाथ से। शांत अंतर्मन, चंचलता की पराकाष्ठा तक पहुंचा, फिर शांत और शांत हो गया। ये शांति चिटियों सी रेंगती मेरे हाथ पैर, कान, आंख से शरीर और शरीर से मन तक आ पहुंची। एक "हाय" की रट लगाता मेरा माज़ी, मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। मैने देखा उसको, माथे पर बोसे दिए,  और पानी में तैरते कागज़ के नाव की मानिंद हाथ फेरकर उसे रवाना किया। निरुपमा (13.9.2022 )

बात.....

 बात, जो निकली तुम से पहोची मुझ तक, उस पल सुना था सबकुछ.. सब ने, चेहरे ने, मुस्कुराहट ने, आंसुओं ने, जिस्म से रूह की परतों ने। मुस्कुराकर बस इतना ही कह सकी थी..... "ना.... तुम बोलो, मुझे बुरा नहीं लग रहा।"  पर वो शब्द float करते रहे बरसों, तुम्हारी आवाज़ गूंजती रही, मेरे कान से लहू निकलता रहा। निरुपमा(2.6.2022) 

आरज़ू....

उसको पाने की शायद उम्मीद थी कोई, बरहां राह तका करते थे, उसकी बातें, उसकी आवाज़ उसकी बेबाक अदा, रात दिन याद किया करते थे। एक एक सांस उसके नाम किया, क्या कहें कितना प्यार करते थे। अब तो आलम है, शाम से पहले, याद चरागों की जला लेते हैं, वो लौट आए एक बार फिर कभी, इस आरज़ू में जिए जाते हैं। निरुपमा (21.1.22)

बर्बाद....

 ज़रा सा बचपना था अक्सर, ज़रा पागल वक्त कर गया। मुझको मेरा ख्याल रखना था, मैने खुद को बर्बाद कर दिया। निरुपमा(20.1.21)

आलापेर भाषा, आदोरेर भाषा, श्वोपनेर भाषा।

तोमर भाषा शीखे, आमी आर ऐकटा भाषा शीखेनीलाम, आलापेर भाषा, आदोरेर भाषा, श्वोपनेर भाषा। तुमि ऐक बारी आमाके बोले छिले, आमी तोमार शुधु तोमारी आछी, तोमारी थाकबो शेई बोला तोमार कोथा, आमी हृदोए माझे रेखे छी, आर आमी जानी ना, कोनो लोकेर भाषा, आर आमी जानी ना कोनो ओन्नो गान शुधू तोमार तान, शुधू तोमार भाषा। आदोरेरभाषा तोमार आलापेर भाषा निरुपमा(18.1.22)

लाज़मी नही कुछ भी....

लाज़मी नही कुछ भी.... न आरज़ू, न इश्क़, न छुअन, न चुभन। लाज़मी नही कुछ भी..... न तसव्वुर, न ख़्वाब, न थकन न टुटन। लाज़मी नही कुछ भी,  न तुम, न मैं, न वहशत, न तकमील। निरुपमा(18.01.2022)