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Showing posts from August, 2021

सांस...

 अल्फाज़ ख़ामोश हुए, तुमसे कहने को कुछ न रहा, दिल के दर्द की अब आहट भी नही आती, आँख नम थी, नम ही रहीं, सांस पर अब भी शायद... सीने में कहीं चलती है। निरुपमा(24.8.21)