अल्फाज़ ख़ामोश हुए,
तुमसे कहने को कुछ न रहा,
दिल के दर्द की अब आहट भी नही आती,
आँख नम थी, नम ही रहीं,
सांस पर अब भी शायद... सीने में कहीं चलती है।
निरुपमा(24.8.21)
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!
अल्फाज़ ख़ामोश हुए,
तुमसे कहने को कुछ न रहा,
दिल के दर्द की अब आहट भी नही आती,
आँख नम थी, नम ही रहीं,
सांस पर अब भी शायद... सीने में कहीं चलती है।
निरुपमा(24.8.21)
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