मैं खुद ही हैराँ हूँ अपने बदले हुए अंदाज़ से, मैं खुद ही परेशाँ हूँ अपने हर एक अंजाम से, जाने कैसे बदल गई ये शक्सियत मेरी, कोई मुझसे क्या कहे "आप तो ऐसे न थे" "प्यार इश्क मोहब्बत, हालत की पैदाइश है और हालात के आगे ही दम तोड़ देते हैं...." ......निरुपमा
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!