हम दोनो दूर हैं बहोत, क्यूं हैं, पता नहीं!
हम दोनो पास थे कभी, क्यूं थे, पता नहीं!
रस्ता तुम्हारा छोड़ आए हम,
रुख एक दूसरे से मोड़ आए हम,
दिल के हर अरमान कुचल डाले अपने हाथों से,
डूबता छोड़ आए माज़ी को अपने हाथों से,
दिल अब भी बेकरार है, क्यूं है, पता नहीं।
निरुपमा (28.7.23)
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