उन नज़रों के बेगानेपन से दिल बेतहाशा फूट पड़ा,
सामने पड़ी उसकी तस्वीर पर जैसे वक़्त की गर्द चढ़ गयी हो,
वो सोचती रही, क्यूँकर उसने उन नज़रों पर भरोसा कर
लिया,
और सोचती रही, के देखते देखते किस तरह एक पूरा साल गुज़र
गया, पर वो न लौटा...
पर वो न लौटा, और लौटा भी तो कुछ यूँ के जैसे वो उसकी
कुछ भी नहीं,
कोई नहीं... तमाम उम्र की सारी दौलत जैसे एक पल में लुट गयी हो,
जब उसने कहा ‘मैं तुमसे नहीं...अब भी उस से प्यार करता हूँ....”
....निरुपमा (16.12.19)
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