तेज़ हवाओं के झोकों ने मेरे सिर से दुपट्टा उड़ा दिया , तुमने हाथ बढ़ाकर उन्हें थाम लिया , मैंने सिर झुकाया , शर्म से नज़रें नीची हुईं, तुमने हौले से दुपट्टा मेरे सिर पर डाल दिया , और मुस्कुराकर बस इतना ही कहा, इस कदर मेरे ख्यालों में न खोया करो , कि खुद की खबर न रहे.... _____________ तुम्हारी खुशबू, मेरे आँचल में आज भी मौजूद है. निरुपमा ( 25.7.20)
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!