तेज़ हवाओं के झोकों ने मेरे सिर से दुपट्टा उड़ा दिया,
तुमने हाथ बढ़ाकर उन्हें थाम लिया,
मैंने सिर झुकाया,
शर्म से नज़रें नीची हुईं,
तुमने हौले से दुपट्टा मेरे सिर पर डाल दिया,
और मुस्कुराकर बस इतना ही कहा,
इस कदर मेरे ख्यालों में न खोया करो,
कि खुद की खबर न रहे....
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तुम्हारी खुशबू,
मेरे आँचल में आज भी मौजूद है.
निरुपमा (25.7.20)
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