उस एक मोड़ से,
जहां से अपने रास्ते एक होते,
ठीक उसी मोड़ पर हमदोनो जुदा हुए,
उसकी बेपरवाही और भी बढ़ती गई,
मेरा जुनून - ए- इश्क़ धीमे धीमे दम तोड़ता गया,
वो जाते क़दमों को और फ़िर लौटा न सका,
मैं गुज़रते वक़्त को तस्वीर सी तकती रही।
निरुपमा (13.7.20)
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