इन पलकों के पीछे आंसू छिपा लेते हैं,
कोई जान नही पाता, हम यूं मुस्कुरा लेते हैं।
हर बात पर कहते हैं, ये तो मज़ाक था,
हाल- ए- दिल अक्सर... कुछ यूं छिपा लेते है।
निरुपमा(14.8.20)
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!
इन पलकों के पीछे आंसू छिपा लेते हैं,
कोई जान नही पाता, हम यूं मुस्कुरा लेते हैं।
हर बात पर कहते हैं, ये तो मज़ाक था,
हाल- ए- दिल अक्सर... कुछ यूं छिपा लेते है।
निरुपमा(14.8.20)
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