एक चेहरे की तलाश ने
कितने चेहरों से रू - ब- रू करा दिया,
बस एक गलतफहमी,
और सारा सच सामने आ गया,
वो फरेब- ए- यार था,
दिलकश थी जिसकी हर अदा,
उस फरेब- ए- यार का,
हर सच सामने आ गया।
कितने सजदे, कितने वादे,
थे मेरे दिल ने किए,
इस नासमझ नादां का,
हर एक सच सामने आ गया।
कोई नहीं मैं उसकी, वो था नहीं कोई मेरा,
जिसके थे सब, उन सबों में कोई न थी मेरी जगह,
एक बात पर हर बात का सच सामने आ गया।
बस एक गलतफहमी,
और सारा सच सामने आ गया।।
निरुपमा (20.8.20)
Comments
Post a Comment