जब छूट जाए दामन अपने प्यार का,
जब भूल जाए रस्ता अपने यार का,
जब कहने को हज़ार बात ना रहें,
जब दिल दिमाग आपने बस में ना रहे,
जब थकती हुईं आंखें पथ से ना हटे,
जब मौसम- ए- बरसात असर ना करे,
जब दिल की बात दिल में रखनी सीख लें,
जब अपना हाल खुद से भी छिपाना हो,
जब औरों की कोई बात भली ना लगे,
जब उसकी याद दिल से ज़रा ना टले,
जब रात दिन बोझ सा लगने लगे,
जब बार बार तन्हाई तुम्हे खीच ले,
जब सांस सांस बोझ सी लगने लगे,
तब जानना तुम अपने ख़ुद से दूर हो,
तब जानना तुम इश्क़ में मजबूर हो,
तब जानना कोई तुम्हारा है कहीं,
जिसके बिना ये खूबसूरत ज़िन्दगी,
बेवजह है,बेमानी है, बेनाम है,
तब जानना कि इश्क़ ही ख़ुदा भी है,
बिन इश्क़ जीना बस कोई हराम है।
निरुपमा(16.8.20)
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