हमें मुफ़लिसी ने क्या क्या सिखा दिया है,
तुम्हे भी शायद हमने भूला दिया है।
ग़म- ए- दिल रखा पड़ा था पहलू में,
उसे भी थपकी दे कर सुला दिया है।
निरुपमा(19.8.20)
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!
हमें मुफ़लिसी ने क्या क्या सिखा दिया है,
तुम्हे भी शायद हमने भूला दिया है।
ग़म- ए- दिल रखा पड़ा था पहलू में,
उसे भी थपकी दे कर सुला दिया है।
निरुपमा(19.8.20)
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