टपके थे बारिशों के बीच, कुछ बूंद मेरे गालों पर,
ज़रा सा चख के देखा था,
नमकीन सा तेरा प्यार,
मेरी पलकों से हो के आया था।।
निरुपमा(31.8.20)
ज़िन्दगी के सफहों को पलटते हुए, कुछ ख़ास पल जैसे हाथ पकड़कर रोक लेना चाहते हैं!
टपके थे बारिशों के बीच, कुछ बूंद मेरे गालों पर,
ज़रा सा चख के देखा था,
नमकीन सा तेरा प्यार,
मेरी पलकों से हो के आया था।।
निरुपमा(31.8.20)
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