क्यूं रोती है ये ज़मीं, क्यूं रोता आसमां है,
सितारों के जहान का, सवेरा वो कहां है।
क्यूं आज दिल की बस्तियां, वीरान सी लगे है,
ये चैन मन का दिन और रात, क्यूं लूटे ये जहां है,
कोई जिए कोई मरे, क्या मायने रखे है?
या मौत की ये बात भी, बस बात तक रहे हैं?
हर हादसा यूं दिल पे क्यूं, कोई तीर सा चलाए,
उस हादसे की बात क्यूं, दिल भूल नहीं पाए है।
क्या रिश्ते हैं, कैसा जहान, सब दूर ही खड़े हैं,
ये ज़िन्दगी क्यूं कांच की कोई ख़्वाब सी लगे है।।
निरुपमा (17.6.20)
सितारों के जहान का, सवेरा वो कहां है।
क्यूं आज दिल की बस्तियां, वीरान सी लगे है,
ये चैन मन का दिन और रात, क्यूं लूटे ये जहां है,
कोई जिए कोई मरे, क्या मायने रखे है?
या मौत की ये बात भी, बस बात तक रहे हैं?
हर हादसा यूं दिल पे क्यूं, कोई तीर सा चलाए,
उस हादसे की बात क्यूं, दिल भूल नहीं पाए है।
क्या रिश्ते हैं, कैसा जहान, सब दूर ही खड़े हैं,
ये ज़िन्दगी क्यूं कांच की कोई ख़्वाब सी लगे है।।
निरुपमा (17.6.20)
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